आवाज़ ही पर्दा

मेरी आवाज़ ही पर्दा है ..मेरे चेहरे का मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिए!

ना नूर थे

ना नूर थे ना रंग फिर भी दिल ये कायल,इस मोहब्त का क्या पता क्या सोचकर हो जाये…….

वो खत जिन्हें

वो खत जिन्हें तुमको भेजने की हिम्मत ना हुई। हम हर रोज उन्हें पढ़कर सोचते है कि ‘तुम पढ़ती तो क्या सोचती’???

टूटी फूटी कश्ती

टूटी फूटी कश्ती और एक खुश्क समंदर देखा था…. कल रात झांक के शायद मैंने अपने अंदर देखा था….

कितने देखें हैं

कितने देखें हैं सिकंदर हमने जो लगाते हैं निशाना घर से|

कहते है के

कहते है के पैसा बोलता है हमने पैसे को बोलते तो नहीं देखा पर कई यो को चुप करवाते जरूर देखा है|कहते है के पैसा बोलता है हमने पैसे को बोलते तो नहीं देखा पर कई यो को चुप करवाते जरूर देखा है|

मैं लिखता हुं

मैं लिखता हुं सिर्फ दिल बहलाने के लिए…. वर्ना जिसपर प्यार का असर नही हुआ उस पर अल्फाजो का क्या असर होगा..

न जाने क्या

न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर, तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है …!!!..

चित्रकार तुझे उस्ताद

चित्रकार तुझे उस्ताद मानूँगा,…. दर्द भी खींच मेरी तस्वीर के साथ…

तूने ही किया था

तूने ही किया था मुझे मोहब्बत की कश्ती में सवार अब आँखें न फेर, मुझे डूबता भी देख …

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