देखा है क़यामत को

देखा है क़यामत को,मैंने जमीं पे नज़रें भी हैं हमीं पे,परदा भी हमीं से|

जब भी मिलते हो

जब भी मिलते हो , रूठ जाते हो , यानी रिश्तों में , जान बाक़ी है |

शायरों की बस्ती में

शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना । गमों की महफिल भी कितने खुशी से जमती है ।।

लोग हर मोड़ पे

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं

गुनाह कुछ हमसे

गुनाह कुछ हमसे ऐसे हो गए। यूँ अनजाने में फूलों का क़त्ल कर दिया। पत्थरों को मन ने में।

ना कोई ख्वाहिश..

ना कोई ख्वाहिश.. …….ना कोई आरजू.. थोड़ी बेमतलब सी है जिंदगी.. फिर भी जीना अच्छा लगता है..।

खुश तो वो रहते हैं

खुश तो वो रहते हैं जो जिस्मो से मोहब्बत करते हैं, रूह से मोहब्बत करने वालों को अक्सर तड़पते देखा है..

कुछ खास जादू नही है

कुछ खास जादू नही है मेरे पास , बस्स बाते मै दिल से करता हूँ !!

आइना कुछ ऐसा भी

एक आइना कुछ ऐसा भी बना दे ऐ खुदा जो चेहरा नही नियत दिखा दे…

मुझे मेरे अंदाज मे

मुझे मेरे अंदाज मे ही चाहत बयान करने दे…. बड़ी तकलीफ़ से गुजरोगे जब ….. तुझे तेरे अंदाज़ में चाहेंगे……

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