हर शख्स परिंदों का

हर शख्स परिंदों का हमदर्द नही होता मेरे दोस्त, बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में जाल बिछाने वाले !!

एक नया दर्द

एक नया दर्द दिल में जगाकर चला गया, वो कल फिर से मेरे शहर में आकर चला गया !!

जहाँ गुंजाइशें हों

जहाँ गुंजाइशें हों वहीँ प्यार ठहरता है…. आज़माइशें अक़्सर रिश्ते तोड़ देती है !!

आओ कभी यूँ

आओ कभी यूँ भी मेरे पास कि, आने में .. लम्हा और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाए !!!!

दिल का क्या है

दिल का क्या है तेरी यादों के सहारे भी जी लेगा,हैरान तो आँखे है जो तङपती है तेरे दीदार को !

लोग रूप देखते हैं

लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं; लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं; बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं; हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं।

आओ कभी यूँ

आओ कभी यूँ भी मेरे पास कि, आने में .. लम्हा और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाए !!!!

कोशिश बहुत की

कोशिश बहुत की के राज़-ए-मौहब्बत बयाँ न हो !! पर मुमकिन कहां है के आग लगे और धुआँ न हो ।

मुस्कुराकर फैर ली

मुस्कुराकर फैर ली उसने नज़र, रस्मे उल्फ़त यूँ निभाई और बस।

हमे कहां मालूम था

हमे कहां मालूम था कि इश्क होता क्या है…? बस…. एक ‘तुम’ मिली और जिन्दगी…. मोहब्बत बन गई

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