दिल में अब कुछ भी नहीं

दिल में अब कुछ भी नहीं उन की मोहब्बत के सिवा, सब फ़साने है हक़ीक़त में हक़ीक़त के सिवा ।।

जो हम पे गुज़री है

जो हम पे गुज़री है शायद सभी पे गुज़री हो, फ़साना जो भी सुना कुछ सुना सुना सा लगा…

सफ़र में धूप तो

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो, सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो…

आसु निकला है

आसु निकला है कोई हाथ में पत्थर लेकर मुझ से कहता है,तेरा जब्त कर सर फोड़ूँगा

जो तेरा न हुआ….

दो घडी जिक्र जो तेरा न हुआ…. दो घडी हम पे कयामत गुज़री|

जहाँ पे आख़री साँस

जहाँ पे आख़री साँस रहा करती है…. मैंने तुझे वहीं पर छुपा के रखा है|

ज़िन्दगी यूँ ही

ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मुहब्बत के लिए , फिर रूठकर वक़्त गवाँने की जरूरत क्या है|

रोते-रोते थक कर

रोते-रोते थक कर जैसे कोई बच्चा सो जाता है…. सुनो, हाल हमारे दिल का अक्सर कुछ ऐसा ही हो जाता है|

पिघली हुई हैं

पिघली हुई हैं, गीली चांदनी, कच्ची रात का सपना आए थोड़ी सी जागी, थोड़ी सी सोयी, नींद में कोई अपना आए नींद में हल्की खुशबुएँ सी घुलने लगती हैं…

अपने ही साए में

अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ, जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला…..

Exit mobile version