वक्त ही ना मिले

खुद की तरक्की में इतना समय लगा दो की किसी ओर की बुराई का वक्त ही ना मिले…… “क्यों घबराते हो दुख होने से, जीवन का प्रारंभ ही हुआ है रोने से.. नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है… लोग “रूलाना” नहीं छोडते… और हम ” हसना” नहीं……

डिब्बे में छुपाए थे

माँ ने कुछ पैसे, आटे के डिब्बे में छुपाए थे….. ख्वाब कुछ मेरे ,ऐसे पकाए थे.

बेटा मज़े में है

बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है

कितना मुश्किल है

कितना मुश्किल है मनाना उस शख्स को .. !! जो रूठा भी ना हो और बात भी ना करे .. !!

समय की कीमत

समय की कीमत पेपर से पूछो जो सुबह चाय के साथ होता है, वही रात् को रद्दी हो जाता है” इसलिए, ज़िन्दगी मे जो भी हासिल करना हो… उसे वक्त पर हासिल करो….. क्योंकि, ज़िन्दगी मौके कम और धोखे ज्यादा देती है…

भुला नही सकता…!

मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकिन है, कोई मुझे छोड तो सकता है मगर भुला नही सकता…!

तुम मुझे भुलाओगे

कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे, मै उतना याद आउगाँ जितना तुम मुझे भुलाओगे

जनाब बरसों में

आप आये जनाब बरसों में हमने पी है शराब बरसों में

लिपट जाता हूँ माँ

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है उछलते खेलते बचपन में बेटा ढूँढती होगी तभी तो देख कर पोते को दादी मुस्कुराती है तभी जा कर कहीं माँ-बाप को कुछ चैन पड़ता है कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है चमन… Continue reading लिपट जाता हूँ माँ

देखेंगे अब जिंदगी

देखेंगे अब जिंदगी चित होगी या पट……. हम किस्मत का सिक्का उछाल बैठे हैं….

Exit mobile version