आँधियों जाओ अब करो आराम, हम खुद अपना दिया बुझा बैठे
Tag: शर्म शायरी
पहले ढंग से
पहले ढंग से तबाह तो हो ले मुफ़्त में उसे भूल जाएँ क्या …
सिर्फ पढने भर का
सिर्फ पढने भर का रिश्ता मत रखिये कभी खैरियत भी तो पूछ लिया कीजिये..!!
यूँ ही आँखें किसी की
यूँ ही आँखें किसी की नम नहीं होतीं। दिल टूटता है पहले, फिर बनते हैं मोती।
दिल की बातें
दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत
बिन तुम्हारे कभी
बिन तुम्हारे कभी नही आयी क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
शेर ओ रूमान
शेर ओ रूमान के वो ख़्वाब कहाँ हैं तेरे वो नुक़ूश-ए-गुल-ओ-महताब कहाँ हैं तेरे
ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा
ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद ….
बिना तेरे राते
बिना तेरे राते क्यों लम्बी लगतीं है …! कभी तेरा ग़ुस्सा तेरी बातें , क्यों अच्छी लगती है …!
हमसे मोहब्बत का दिखावा
हमसे मोहब्बत का दिखावा न किया कर… हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है