जवाब नहीं होते…

मत पूछ रात भर जागने की वजह अये दिल ए नादान, मोहब्बत में कुछ सवालों के जवाब नहीं होते…

कुछ पाया था

कुछ पाया था, कुछ खोया था ….! बस ये सोच के दिल बहुत रोया था ….! पर आज ये सोचकर खामोश है हम, कि जो खोया था क्या सच में कभी पाया था…

जनाब बरसों में

आप आये जनाब बरसों में हमने पी है शराब बरसों में

खूब मोहब्बत है

क्या खूब मोहब्बत है तेरी… तोड़ा भी हमें छोड़ा भी हमें …

आज होगा हिसाब

तुम कहां थे कहां रहे साहेब आज होगा हिसाब बरसों में

कब तक बाँटता रहू

मैं कब तक बाँटता रहू ख़ुदको , मुझे अपना भी तो हिस्सा रखना चाहिए ….

समन्दर के सफ़र में

समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको हवाएँ तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए!!!

तो क्या करता

ना शाखों ने पनाह दी ना हवाओं ने संभाला वो पत्ता आवारा न बनता तो क्या करता

ख़ुशी मुझ को

उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझ को, यही जवाब मेरे पास है अपनी हार का !

लिपट जाता हूँ माँ

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है उछलते खेलते बचपन में बेटा ढूँढती होगी तभी तो देख कर पोते को दादी मुस्कुराती है तभी जा कर कहीं माँ-बाप को कुछ चैन पड़ता है कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है चमन… Continue reading लिपट जाता हूँ माँ

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