देखेंगे अब जिंदगी चित होगी या पट……. हम किस्मत का सिक्का उछाल बैठे हैं….
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यादों की हवा
सारा दिन गुजर जाता है, खुद को समेटने में, फिर रात को उसकी यादों की हवा चलती है, और हम फिर बिखर जाते है!
याद से जाते नहीं
याद से जाते नहीं, सपने सुहाने और तुम, लौटकर आते नहीं, गुज़रे ज़माने और तुम, सिर्फ दो चीज़ें कि जिनको खोजती है ज़िंदगी, गीत गाने, गुनगुनाने के बहाने और तुम..
तेरी हर बात पे
काली रातों को भी रंगीन कहा है मैंने तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैंने…..
एक से घर हैं
एक से घर हैं सभी एक से हैं बाशिंदे अजनबी शहर में कुछ अजनबी लगता ही नहीं
नजर आये कैसे
अपने चहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे तेरी मर्जी के मुताबिक़ नजर आये कैसे
किरदार की मोहताज नहीं
तेरे वादे तेरे प्यार की मोहताज नहीं ये कहानी किसी किरदार की मोहताज नहीं
ख़ुशी के चार झोंके
अरे ओ आसमां वाले बता इसमें बुरा क्या है ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुजर जाएँ
तुझे अपना सोचकर..
तू मिले या ना मिले….. ये मेरे मुकद्दर की बात है, “सुकून” बहुत मिलता है….. तुझे अपना सोचकर..
उनके सामने जाऊं
नही पाता सहेज खुद को क्या उनके सामने जाऊं____बड़ी मुश्किल से संभला हूँ मुझे आबाद रहने दो…!!