हमारी आरजूओं ने

हमारी आरजूओं ने हमें इंसान बना डाला​;​​ ​वरना जब जहां में आये थे, बन्दे ​​​थे खुदा के

रास्ते बन जाते है

हुनर का दरिया है हम. …. जिस तरफ मुँह करले …. रास्ते बन जाते है ।।।

मेरे करीब आते है

मै जानता हूँ वा कयाें ऱूठ जाते है, वाे ईस तरीके से भी मेरे करीब आते है..!!

तू बदल गई है।

तेरी तलाश में निकलू भी तो कैसे…तू बदल गई है।बिछड़ी होती तो और बात थी।।

मैं जब किसी

मैं जब किसी गरीब को हँसते हुए देखता हूँ तो यकीन आ जाता है कि खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं है..

बीतता वक़्त

बीतता वक़्त है लेकिन, खर्च हम हो जाते हैं ।

बारिश की तरह

तुम बरस के देखो बारिश की तरह, हम भी महकते रहेंगे मिटटी की तरह !!

कभी तबियत पूछना

कभी तबियत पूछना हमसे भी गुजरने वाले.. हाल-ऐ-दिल बयां करने का शौक हम भी रखते हैं ….!

ताल्लुक हो तो

ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो … दिल तो अकसर एक दूसरे से भर जाया करते है

ज़िन्दिगी बन जाती हैं.

दो परिंदे सोंच समझ कर जुदा हो गयें और जुदा होकर मर गयें जानते हो क्यों? क्योंकि उन्हे नहीं मालूम था कि नज़दीकियाँ पहले आदत फिर ज़रूरत और फिर ज़िन्दिगी बन जाती हैं.।

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