मुस्कुराते पलको पे सनम चले आते हैं, आप क्या जानो कहाँ से हमारे गम आते हैं, आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं, जहाँ किसी ने कहा था, कि ठहरो हम अभी आते हैं..
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कभी नीम सी
कभी नीम सी जिंदगी । कभी नमक सी जिंदगी । मैं ढूंढता रहा उम्र भर एक शहद सी जिंदगी। ना शौक बङा दिखने का… ना तमन्ना भगवान होने की… बस आरजू जन्म सफल हो…. कोशिश “इंसानं” होने की.
पूछा है अपने
पूछा है अपने आप से मैं ने हज़ार बार, मुझ को बताओ तो सही क्या चाहते हो तुम…
जुदा हुए वो लोग
जुदा हुए वो लोग कि जिन को साथ में आना था, इक ऐसा मोड़ भी हमारी रात में आना था…
चेहरे बदल-बदल के
चेहरे बदल-बदल के मुझे मिल रहे हैं लोग, ये क्या ज़ुल्म हो रहा है,मेरी सादगी के सांथ.!
उसने माँगी थी
उसने माँगी थी मुझसे जरा सी दुआ,साथ मैंने ही उसके खुदा कर दिया..!! एक खुदगर्ज़ “ग़ज़ल” नाम जिसको दिया अपनी पहचान दी, उसने मुझको ही सबसे जुदा कर दिया..! उम्रभर साथ चलने का वादा किया,छोड़ तनहा मुझे अलविदा कर दिया..!! एक मंज़िल से भटका मुसाफिर था वो, रास्ते में मिला हमसफ़र बन गया, उसने माँगी… Continue reading उसने माँगी थी
कद्र मेरी ना समझी
कद्र मेरी ना समझी खुदगर्ज जमाने ने, मेरी कीमत को आंका शहर के बुतखाने ने, कुसूर तेरा न था सब खतायें मेरी थी, खुद को बर्बाद कर लिया तुम्हे आजमाने में, जिन जमीनों पर तुमने पैरों के निशान छोडे हैं, वहीं सजदे किये हैं तेरे इस दिवाने ने, तेरे दिल के अंजुमन से जब रुख्सत… Continue reading कद्र मेरी ना समझी
मेरे जख्मो पर एक बार
वो नमक जो तूने मेरे जख्मो पर एक बार डाला था . वो मेरे आंसुओ में आज भी अक्सर निकलता है।
किसको बर्दाश्त है
किसको बर्दाश्त है खुशी आजकल लोग तो दूसरो की … अंतिम यात्रा की भीङ देखकर भी जल जाते है …!!
जिन्दंगी को समझना
जिन्दंगी को समझना बहुत मुशकिल हैं. कोई सपनों की खातिर “अपनों” से दूर रहता हैं.. और , कोई “अपनों” के खातिर सपनों से दूर …!!