जुबां की खामोशी पर मत जाओ, राख के नीचे हमेशा आग दबी होती है।
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शायरी का रंग
शायरी का रंग और भी गुलनार हो जाता है, जब दो शायरों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है..
निगाहों से छुप कर
निगाहों से छुप कर कहाँ जाइएगा जहाँ जाइएगा, हमें पाइएगा मिटा कर हमें आप पछताइएगा कमी कोई महसूस फ़र्माइएगा नहीं खेल नासेह! जुनूँ की हक़ीक़त समझ लीजिए तो समझाइएगा कहीं चुप रही है ज़बाने-मोहब्बत न फ़र्माइएगा तो फ़र्माइएगा
होता अगर मुमकिन
होता अगर मुमकिन, तुझे साँस बना कर रखते सीने में, तू रुक जाये तो मैं नही, मैं मर जाऊँ तो तू नही…
इस तरह तुमने
इस तरह तुमने मुझे छोड़ दिया …. जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो
बदलना आता नहीं
बदलना आता नहीं हमे मौसम की तरह, हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं, ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक, कसम तुम्हारी तुम्हे हम इतना प्यार करते हैं|
लोगों ने कहा
लोगों ने कहा वक़्त के साथ लोग बादल जाते है .. फिर क्या था … मैंने कभी उन्हें लोगों में गिना ही नहीं …
शायरों की बस्ती में
शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना । गमों की महफिल भी कितने खुशी से जमती है ।।
ज़िन्दगी के हाथ
ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते लेकिन, कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती है जो पूरी उम्र याद रहता है !!
अच्छा हुआ तूने
अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया मुझे प्यार चाहिए था तेरा एहसान नही !!