बस यही सोच कर हर मुश्किलो से लड़ता आया हूँ.. धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते..!!!
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बसेरा है तेरे शहर मेँ
अजीब लोगोँ का बसेरा है तेरे शहर मेँ, गुरूर मेँ मिट जाते हैँ मगर याद नहीँ करते…
दिन क़रीब है
कह दो गमो से कहीं और बसेरा करे अब..!! मेरे आक़ा की विलादत का दिन क़रीब है..!!