कौन कहता है

कौन कहता है दुनिया में हमशक्ल नहीं होते देख कितना मिलता है तेरा “दिल” मेरे “दिल’ से.!

पता नही होश मे हूँ…

पता नही होश मे हूँ….. या बेहोश हूँ मैं….. पर बहूत सोच ……. समझकर खामोश हूँ मैं.

अगर तू आंसू है

अगर तू आंसू है तो फिर….. मेरा भी रोना जरूरी है….

मुझे इंसान को

मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम…. या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की…. किसी की बुराई नजर ही ना आये..

तुझे तो मिल गये जीवन मे

तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी, लेकिन….. मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती है….!!

बिलकुल बेकार नहीं हूँ

बिलकुल बेकार नहीं हूँ मैं. नाकामियों की मिसाल के काम आता हूँ मैं

जो दिल की गिरफ्त में

जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है, मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है, किसी और की बात रास नहीं आती, दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है, मानता है बस दलीले उनकी, ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है, यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है, कि अपनी खैरियत भूल कर… Continue reading जो दिल की गिरफ्त में

छलका तो था

छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!! कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!

मेरी मासूम मोहब्बत

मेरी मासूम मोहब्बत , की गवाही न मांग मेरी पलकों पे सितारों ने इबादत की है…

जीवन जीना हो तो

जीवन जीना हो तो दर्पण की तरह जीओ, जिसमें स्वागत सभी का हो लेकिन संग्रह किसी का भी नहीं…

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