हार जाउँगा मुकदमा

हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था.. जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था…

मैं तो उस वक़्त से

मैं तो उस वक़्त से डरता हूँ कि वो पूछ न ले ये अगर ज़ब्त का आँसू है तो टपका कैसे..

मेरे होकर भी

मेरे होकर भी मेरे खिलाफ चलते हैं… मेरे फैसले भी देख तेरे साथ चलते हैं!!

पूछ रहे हैं वो

पूछ रहे हैं वो मेरा हाल, जी भर रुलाने के बाद! के बहारें आयीं भी तो कब? दरख़्त जल जाने के बाद!

वो कहानी थी

वो कहानी थी, चलती रही, मै किस्सा था, खत्म हो गया…!!!

मेरे वजूद मे

मेरे वजूद मे काश तू उतर जाए मे देखु आईना ओर तू नजर आए तू हो सामने और वक्त्त ठहर जाए, ये जिंदगी तुझे यू ही देखते हुए गुजर जाए

जा भूल जा तू मुझे …

जा भूल जा तू मुझे ……..तुझे इजाज़त है हम भी याद करने से पहले कौन सा पूछा करते हैं !!

एक अजीब सी जंग

एक अजीब सी जंग छिड़ी है रात के आलम में, आँख कहती है सोने दे, दिल कहता है रोने दे..!

दीवानगी के लिए

दीवानगी के लिए तेरी गली मे आते हैं.. वरना.. आवारगी के लिए सारा शहर पड़ा है..

गुज़री तमाम उम्र

गुज़री तमाम उम्र उसी शहर में जहाँ… वाक़िफ़ सभी थे कोई पहचानता न था..

Exit mobile version