शोहरत की आरज़ू

शोहरत की आरज़ू ने किया बेवतन हमें, इतनी बढ़ी ग़रज़ कि उसूलों से हट गए।

जो दुआ न करे

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे.. मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे।। रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर.. ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे।।

मुझे भी बुला लेना

तुम दुआ के वक़्त जरा मुझे भी बुला लेना… दोनों मिलकर एक दूसरे को मांग लेंगे…

Kaarobaar Hai Mera

Mat poocho, kyaa kaarobaar hai mera…….. Mohabbat bechta hoon main…… Aaj ke in nafraton ke baazaron mein………

मतलब था ना वास्ता

मेरी जिन्दगी में झाँक कर तुम यूँ चले गये ना मतलब था ना वास्ता,कोई बात बर न थी….

मत सोच इतना

मत सोच इतना जिन्दगी के बारे में , जिसने जिन्दगी दी है उसने भी तो कुछ सोचा होगा…!!

हुनर सीख लो

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,.. … सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं.

प्यास तो मर कर भी

प्यास तो मर कर भी नहीं बुझती ज़माने की, मुर्दे भी जाते जाते गंगाजल का घूँट मांगते है”..

अपने बेजान चेहरे

न दिल न ज़ज्बे न जोशे उल्फत, तकल्लुफन मुस्करा रहा है. वो अपने बेजान चेहरे पे, जानदार चेहरे सजा रहा है.

अपनी यादों को ज़रा

समझा दो तुम, अपनी यादों को ज़रा… … वक़्त बे-वक़्त तंग करती हैं मुझे, कर्जदारों की तरह ।

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