उसने तारीफ़ ही

उसने तारीफ़ ही कुछ इस अन्दाज़ से की ,,, अपनी ही तस्वीर को सौ बार देखा मैने..।।

जब तुम करीब होते हो

जब तुम करीब होते हो तो मदहोश हुए जाते है जब दूर होते हो तो ख्यालों में ग़ुम हुए जाते है…..

सँभल के रहिएगा

सँभल के रहिएगा ग़ुस्से में चल रही है हवा, मिज़ाज गर्म है मौसम बदल रही है हवा…

मैं पा नहीं सका

मैं पा नहीं सका इस कशमकश से छुटकारा​ तू मुझे जीत भी सकता था मगर हारा क्यूँ|

तारीख हज़ार साल में

तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,… तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं|

किसी से जुदा होना

किसी से जुदा होना अगर इतना आसान होता , तो…. जिस्म से रूह को लेंने कभी फरिस्ते ना आते !!

फासले बढाने वाले

तूने फेसले ही फासले बढाने वाले किये थे , वरना कोई नहीं था, तुजसे ज्यादा करीब मेरे..।

बड़ी मुश्किल से

बड़ी मुश्किल से सीखा है, खुश रहना उसके बगैर….!!अब सुना है, ये बात भी उसे परेशान करती हैं!!!!!

यूँ सामने आकर

यूँ सामने आकर ना बैठा करो,, सब्र तो सब्र है, हर बार नही होता!!!

ये न पूछ

ये न पूछ के शिकायतें कितनी है तुझसे ये बता के तेरा और कोई सितम बाकी तो नहीं …!!!

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