ख़्वाहिशों का कैदी हूँ

ख़्वाहिशों का कैदी हूँ, मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..

यूँ तो गलत नही होते

यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के, लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है।

डर हमेशा बना रहे

विश्वास कीसी पे इतना करो वो तुम्हें फंसाते समय खुद को दोषी समजे प्यार किसीसे इतना करो की उसके मन तुम्हें खोने का डर हमेशा बना रहे….

ऐसी शायरी लिखूँ

काश! मैं ऐसी शायरी लिखूँ तेरी याद में, तेरी शक्ल दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में.!

उसे मुफ्त ही दे दें

सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें , इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।

रात को सोते हुए

रात को सोते हुए एक बेवज़ह सा ख़याल आया…. सुबह न जाग पाऊँ तो क्या उसे ख़बर मिलेगी कभी…..!

सौ गुना बेहतर है

तन्हाई’ सौ गुना बेहतर है, झुठे “वादों” से…! झुठे “लोगों” से…!!

जो नही है

जो नही है हमारे पास वो ” ख्वाब ” हैं, पर जो है हमारे पास वो ” लाजवाब ” हैं…

मेरे वजूद पे

मेरे वजूद पे उतरी हैं लफ़्ज़ की सूरत,, भटक रही थीं ख़लाओं में ये सदाएँ कहीं।।

अधूरी हसरतों का

अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर…!! अगर तुम चाहती तो….. ये मोहब्बत ख़त्म ना होती….!!

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