फासले कहाँ मोहब्बत

फासले कहाँ मोहब्बत को कम कर पाते हैं, बिना मुलाकात के भी कई रिश्ते अक्सर साथ निभाते हैं

दिल से ज्यादा

दिल से ज्यादा महफूज़ जगह कोई नही मगर, सबसे ज्यादा लोग यहीं से ही लापता होते हैं।

आग भी क्या

आग भी क्या अजीब चीज़ है… ख़ामोशी से भी लग जाती है…!!!

दिल में समा गई हैं

दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ… दो-चार दिन रहा था किसी की निगाह में….

फितरत किसी की

फितरत किसी की यूँ ना आजमाया करिए साहब… के हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है…

गीली आँखों का

गीली आँखों का दर्द कुछ ख़फ़ा सा है… ये जो सीने में धड़कता है बेवफ़ा सा है…

हर अल्फाज दिल का

हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो, कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये|

आँधियाँ हसरत से

आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रह गईं, बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर झुकने का था…

रात के बाद

रात के बाद सहर होगी मगर किस के लिए हम ही शायद न रहें रात के ढलते ढलते |

सितारे सा टूट कर

सितारे सा टूट कर गिरूँगा कहीं एक दिन, पर तेरी सारी ख्वाहिशें पूरी करके जाऊँगा !!

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