कुछ जख़्मों की

कुछ जख़्मों की कोई उम्र नही होती…साहेब ताउम्र साथ चलते है ज़िस्म के ख़ाक होने तक…….

तेरे एक-एक लफ्ज़

तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने, चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातो ने !!

फांसलो का अहेसास

फांसलो का अहेसास तो तब हुआ, जब मैंने कहा मैं ठीक हूँ और उसने मान लिया !!

कहाँ सब को आता है

मौत तो सब को आती है, जीना कहाँ सब को आता है ?

लम्हा सा बना दे

लम्हा सा बना दे मुझे.. रहूँ गुज़र के भी साथ तेरे…..!!

बस वो मुस्कुराहट

बस वो मुस्कुराहट ही कहीं खो गई है, बाकी तो मैं बहुत खुश हूँ आजकल…

अब गिला क्या करना ..

अब गिला क्या करना ..उनकी बेरुखी का .. दिल ही तो था भर गया होगा …

वों आजाद जुल्फें

वों आजाद जुल्फें छू रहीं उनके लबों को… और हम खफा हो बैठे हवाओं से..

मेरी मुलाक़ात तुझसे

मेरी मुलाक़ात तुझसे अब तक अधूरी है, तू पास ही है मेरे, फिर क्यों ये दूरी है….

शीशा रहे बगल में

शीशा रहे बगल में, जामे शराब लब पर, साकी यही जाम है, दो दिन की जिंदगानी का…

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