शब्दों को अधरों पर रखकर दिल के भेद ना खोलो, मैं आँखों से सुन सकता हूँ तुम आँखों से बोलो।
Category: Shayri-E-Ishq
वो जो तस्वीर से
वो जो तस्वीर से गुफ़्तगू का हुनर जानते हैं … कहाँ है मोहताज किसी से बातचीत के।
हौंसला तुझ में
हौंसला तुझ में न था मुझसे जुदा होने का; वरना काजल तेरी आँखों का न यूँ फैला होता।
कुछ तेरी अज़मतो का
कुछ तेरी अज़मतो का डर भी था…कुछ अजीब थे ख़यालात मेरे…
हाल ऐ दिल भी
हाल ऐ दिल भी न कह सके तुझसे…तू रही मुद्दतो करीब मेरे…
किस से पूछूँगा
किस से पूछूँगा खबर तेरी… कौन बतलायेगा निशान तेरा…
आज इतना महसूस किया
आज इतना महसूस किया खुद को जैसे लोग दफन कर के चले गए हो मुझे|
मेरी खुशियों की
मेरी खुशियों की दुआ करते हो। खुद मेरे क्यों नहीं हो जाते हो।
गुनाह कुछ हमसे
गुनाह कुछ हमसे ऐसे हो गए। यूँ अनजाने में फूलों का क़त्ल कर दिया। पत्थरों को मन ने में।
ना कोई ख्वाहिश..
ना कोई ख्वाहिश.. …….ना कोई आरजू.. थोड़ी बेमतलब सी है जिंदगी.. फिर भी जीना अच्छा लगता है..।