तुमने देखी है वो पेशानी वो रूखसार, वो होंठ, जिन्दगी जिनके तसव्वर में लुंटा दी मैंने।
Category: Shayri-E-Ishq
सजा देना हमें भी
सजा देना हमें भी आता है… पर तू तकलीफ से गुजरे यह हमें गवारा नहीं…!!!
कोई तो है
कोई तो है जिसकी खातिर…. उदास रहने का शौक-सा है……!!
यूँ गुमसुम मत बैठो
यूँ गुमसुम मत बैठो पराये से लगते हो, मीठी बातें नहीं करना है तो चलो झगड़ा ही कर लो…!!
इस तरह छूटा घर
इस तरह छूटा घर मेरा मुझसे… मैं घर अपने आकर,अपना घर ढूँढता रहा…
नजर झुका के
नजर झुका के जब भी वो,गुजरे है करीब से…. हम ने समझ लिया की आज का आदाब अर्ज हो गया.
तेरी यादो की उल्फ़त
तेरी यादो की उल्फ़त से सजी हे महफिल मेरी… में पागल नही हूँ जो तुझे भूल कर वीरान हो जाऊ…
हमारा भी खयाल कीजिये
हमारा भी खयाल कीजिये कही मर ही ना जाये हम, बहुत ज़हरीली हो चुकी है अब ये खामोशीयां आपकी…
तकलीफ़ की बात
तकलीफ़ की बात ना करो साहेब.. बहुत तकलीफ़ होती है..
शाख़ें रहीं तो
शाख़ें रहीं तो फूल और पत्ते भी ज़रूर आयेंगे… ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी ज़रूर आयेंगे…!!!