आये हो आँखों में

आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ, एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में…

मैं मान जाऊँगा

मैं मान जाऊँगा, तुम तबियत से मनाओ तो सही। तुम्हे फ़र्क़ पड़ता है, ये बात अपने लहज़े में लाओ तो सही

दर्द को भी दर्द होता होगा

दर्द को भी दर्द होता होगा..!!! जब नाम-ऐ…इश्क़ आता होगा..!!

जब इत्मीनान से

जब इत्मीनान से, खंगाला खुद को, थोड़ा मै मिला, और बहुत सारे तुम…

तुझे गुमान है

ऐ समंदर! तुझे गुमान है अपने कद पर… मैं नन्हा सा परिंदा तेरे ऊपर से गुज़र जाता हूँ!

कौन शर्मा रहा है

कौन शर्मा रहा है यूं फुर्सत में हमें याद कर कर के, हिचकियाँ आना चाह रही हैं पर हिचकिचा रही हैं।

किताबों की तरह

किताबों की तरह हैं हम भी…. अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश…

एक तुम ही हमारे

एक तुम ही हमारे ना हुए… वरना दुनिया में क्या कुछ नही होता…

कल तुझे देख के

कल तुझे देख के याद आया . . हम भी कभी तेरे हुआ करते थे

नज़र आना जरुरी है।

उसूलों पर अगर आ जाये, तो टकराना जरुरी है! जिन्दा हो तो जिन्दा नज़र आना जरुरी है।

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