तुम बहोत साल रह लिए

तुम बहोत साल रह लिए अपने, अब मेरे और सिर्फ मेरे होकर रहो !!

हम दिन और रात जैसे है

उसने कहा हम दिन और रात जैसे है, कभी एक नही हो सकते..!! मैंने कहा आओ शाम को मिलते है….!

लफ़्ज़ों से ग़लतफ़हमियाँ

लफ़्ज़ों से ग़लतफ़हमियाँ बढ़ रहीं है चलो ख़ामोशियों में बात करते हैं.

सच को तमीज़ ही नहीं

सच को तमीज़ ही नहीं बात करने की, झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है !!

जब नहीं तुझको यक़ीं

जब नहीं तुझको यक़ीं तो अपना समझता क्यूँ है, रिश्ता रखता है तो फिर रोज़ परखता क्यूँ है !!

शाम ढलते ही

शाम ढलते ही दरीचे में मेरा चाँद आकर। मेरे कमरे में अँधेरा नहीं होने देता।।

कोई जग रहा यहाँ

कोई जग रहा यहाँ कोई सो रहा वहाँ , इस मोहब्बत में ये कैसा उठ रहा धुवाँ !

उस दुकान का पता

दो जहाँ लिखा हो, साहिब टूटे दिल का काम तसल्ली-बक्श किया जाता हैं..

अब न वो

अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है, जैसे दो साए तमन्ना के सराबों में मिलें…

सोचो तो सिलवटों से

सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह, देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में…

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