कलम में जोर जितना है

कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है… मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं…

मेरी ज़िन्दगी में

मेरी ज़िन्दगी में तेरी याद भी उसी तरह है, जैसे सर्दी की चाय में अदरक का स्वाद

अच्छा हुआ के

अच्छा हुआ के वक़्त पर ठोकर लगी मुझे छूने चला था चाँद को दरिया में देखकर

कबर की मिट्टी

कबर की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूं; लोग मरते हैं तो गुरूर कहाँ जाता है!!!

मंद मंद मुस्कान

मंद मंद मुस्कान नूरानी चहरे पर, गालो पे जुल्फे बैठी है पहरे पर, आंखो मे तीरी महताब सी रौशनी, काजल बन जाये तलवार तेरे चहरे पर…

एक वादा है

एक वादा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं वरना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं जी में आता है उलट दें उनके चेहरे से नक़ाब हौसला करते हैं लेकिन हौसला होता नहीं…

इन होंठो की

इन होंठो की भी न जाने क्या मजबूरी होती है, वही बात छुपाते है जो कहनी जरुरी होती है !!

गुज़री तमाम उम्र

गुज़री तमाम उम्र उसी शहर में जहाँ… वाक़िफ़ सभी थे कोई पहचानता न था..

अपने ही रंग से

अपने ही रंग से तस्वीर बनानी थी मेरे अंदर से भी सभी रंग तुम्हारे निकले|

बदला न अपने-आप को

बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे… मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे..

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