एक ही समानता है

एक ही समानता है पतंग औऱ जिन्दगी मॆं, ऊँचाई में हो तब तक ही “वाह-वाह” होती हैं….!!

घमण्ड से भी अक्सर

घमण्ड से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते.. कसूर हर बार गलतियों का नहीं होता..

उसकी आदत है

उसकी आदत है मेरे बाल बिगाड़े रखना… उसकी कोशिश है किसी और को अच्छा ना लगु में ..!!!

रहकर तुझसे दूर कुछ

रहकर तुझसे दूर कुछ यूँ वक़्त गुजारा मैंने…. ना होठ हिले फिर भी तुझे हर पल पुकारा मैंने.

वक्त इशारा देता रहा

वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक़ समझते रहे, बस यूँ ही धोखे ख़ाते गए और इस्तेमाल होते रहे…

लगता है कहीं प्यार में

लगता है कहीं प्यार में, थोड़ी सी कमी थी। और प्यार में थोड़ी सी कमी कम नहीं होती।।

ठीक से ज़ख़्म का

ठीक से ज़ख़्म का अन्दाज़ा किया ही किसने… बस सुना था कि बिछड़ते हैं तो मर जाते हैं…

​घर की इस बार

​घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा​ ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है..​

कहते है के

कहते है के पैसा बोलता है हमने पैसे को बोलते तो नहीं देखा पर कई यो को चुप करवाते जरूर देखा है|कहते है के पैसा बोलता है हमने पैसे को बोलते तो नहीं देखा पर कई यो को चुप करवाते जरूर देखा है|

न जाने क्या

न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर, तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है …!!!..

Exit mobile version