यह कह कर

यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया; कि तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए।

कभी कभी मोहब्बत में

कभी कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं; इश्क़ के कच्चे धागे टूट जाते हैं; झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी; इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं।

दिल की बातें

मेरी चाहतें तुमसे अलग कब हैं, दिल की बातें तुम से छुपी कब हैं; तुम साथ रहो दिल में धड़कन की जगह, फिर ज़िन्दगी को साँसों की ज़रूरत कब है।

दिल को हमसे चुराया

दिल को हमसे चुराया आपने, दूर होकर भी अपना बनाया आपने, कभी भूल नहीं पायेंगे हम आपको, क्योंकि याद रखना भी तो सिखाया आपने…

जिन्‍दगी की राहों में

जिन्‍दगी की राहों में बहुत से यार मिलेगेंहम क्‍या हमसे भी अच्‍छे हजार मिलेगेंइन अच्‍छों की भीड में हमे ना भूला देनाहम कहॉ आपको बार बार मिलेगें |

काश खुशियों की

काश खुशियों की कोई दुकान होतीहमें भी उसकी पहचान होतीभर देते आपकी जिन्‍दगी को खुशियों सेकिमत चाहे उसकी हमारी जान होती |

ना वो बेवफा थी

ना वो बेवफा थी,ना प्यार में मेरे कमी थी। किसमत की बात थी,दग़ा दे गयी।।

सहम जाता हूँ

सहम जाता हूँ चाय की प्याली भी छूटने पर। खुदा ही जाने किस हद तक खोया है मैंने।।

कितने देखें हैं

कितने देखें हैं सिकंदर हमने जो लगाते हैं निशाना घर से|

किसी को हो न सका

किसी को हो न सका मेरे कद का अंदाजा… में आसमां था मगर सर झुका के चलता था…

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