तूने ही किया था

तूने ही किया था मुझे मोहब्बत की कश्ती में सवार अब आँखें न फेर, मुझे डूबता भी देख …

और कितने इम्तेहान

और कितने इम्तेहान लेगा वक़्त तू ज़िन्दगी मेरी है फिर मर्ज़ी तेरी क्यों|

बुरे भी नहीं थे हम

जब मिलोगे किसी और से तो मान जाओगे, अगर अच्छे नहीं थे तो बुरे भी नहीं थे हम|

बस आज के दिन

बस आज के दिन उनका इंतजार कर लूँ, इसी सोच में तमाम उम्र गुजार दी मैंने !!

बहुत कुछ सोंचा

बहुत कुछ सोंचा,बहुत कुछ था कहना फिर हुआ यू,की लफ्जों ने,चुना खामोश रहना..!!

बदन इतना महंगा भी

बदन इतना महंगा भी न कर लीजिये हुजूर रूह तड़प उठे की घर बदलना है..

ख्वाहिश जली बुझी सी..

एक ख्वाहिश जली बुझी सी.. फिर खाक हुई आहिस्ता-आहिस्ता..!

ये इनायतें ग़ज़ब की

ये इनायतें ग़ज़ब की , ये बला की मेहरबानी, मेरी ख़ैरियत भी पूछी, किसी और की ज़ुबानी….

बस तुम कोई उम्मीद

बस तुम कोई उम्मीद दिला दो मुलाकात की , फिर इन्तजार तो हम सारी उम्र कर लेंगें|

ये अलग बात है

ये अलग बात है कि वो ही न समझे हमको…. हमने जिनसे दिल से नही ,,रूह से मोहब्बत की थी।

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