हमे क्या मालुम था ईस तरह रास्ते मै छोड के जायेगी पगली, पता होता तो साथ मे साईकल तो ले आते..
Category: शायरी
मैंने चाहा है
मैंने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह तू मेरा ख़्वाब नहीं है जो बिखर जाएगा|
जमाने में कभी भी
जमाने में कभी भी किस्मतें बदला नही करती!! उम्मीदों से भरोसों से दिलासों से सहारों से
एक हँसती हुई
एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है।
शब्द तो शोर है
शब्द तो शोर है तमाशा है भाव के बिंदु का बिपाशा है मरहम की बात होठो से ना करो मोन ही तो प्रेम की परिभाषा |
तुझ पे उठ्ठी हैं
तुझ पे उठ्ठी हैं वो खोई हुयी साहिर आँखें.. तुझ को मालूम है क्यों उम्र गवाँ दी हमने…
न चमन है
न चमन है , न गुल है ,न मौसम-ए-बहार है मेरी भी जिंदगी क्या खूब है – सिर्फ इन्तजार है।
एक एक पन्ना हर कोई
एक एक पन्ना हर कोई बांट लेते है मतलब की… सुबह-सुबह मां घर में अखबार जैसे हो जाती है…
सबूतों और गवाहों
सबूतों और गवाहों की साहब… यहाँ सेल नहीं होती, आपने जुर्म-ए-मोहब्बत किया है, इसमें बेल नहीं होती।
शाख़ें रहीं तो
शाख़ें रहीं तो फूल और पत्ते भी ज़रूर आयेंगे… ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी ज़रूर आयेंगे…!!!