Teri skasiyat ka bayan kuch aisa hai ki…..meri nazm bhi tere tasavvur se muqaam leti hai…
Category: व्यंग्य शायरी
हकीक़त कहो तो
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है .. शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है… कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम …………. और एक वो है ….जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है………………
जी भर गया है
जी भर गया है तो बता दो क्योंकी हमें इनकार पसंद है इंतजार नही…॥
पांव सूखे हुए
पांव सूखे हुए पत्तों पे अदब से रखना धूप में मांगी थी तुमने पनाह इनसे कभी
Woh Kehte Hai
Woh Kehte Hai; Sabhi Ghazlein Mujhe Kaghaz Pey Likh Bhejo, Main Kehta Hoon; Meri Ghazlein To Sab Teri Hi Baatien Hain.
बाज़ार-ए-वफ़ा
नीलाम कुछ इस कदर हुए, बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज.. बोली लगाने वाले भी वो ही थे, जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे..
ज़रा सम्भाल कर
ज़रा सम्भाल कर रखियेगा इन्हे…रिश्ते हैं, कपड़े नहीं, कि रफ़ू हो जायें…!
तैर गये यूँ
तैर गये यूँ तो हम सारा समुंदर, डूबे तो तेरी आखों में डूबे…
हताशा मे डूबी
हताशा मे डूबी माँ के आंसू जब औलाद पोंछती है..!! हर कर्ज अदा हो जाता है..ममता धन्य हो जाती है..!!
रहने दे आसमा
किसी शायर ने खूब कहा है, रहने दे आसमा, ज़मीन की तलाश कर, सब कुछ यही है, कही और न तलाश कर. हर आरज़ू पूरी हो, तो जीने का क्या मज़ा, जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह की तलाश कर, ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे, अपने अपने हिस्से कि दोस्ती निभाएंगे,… Continue reading रहने दे आसमा