खुद को जो सूरज बताता फिर रहा था रात को दिन में उस जुगनू का अब चेहरा धुआं होने को था
Category: व्यंग्य शायरी
कौन कब किसका हुआ
वो हमारे हो गए ये क्या कम बात है खुद ग़रज़ दुनिया में वरना कौन कब किसका हुआ
फूल की खुशबू
फूल की खुशबू ही तय करती है उसकी कीमतें, क्या कभी तुमने सुना है, खार का सौदा हुआ
रिश्वतो के सिलसिले
चल रहे है जमाने में रिश्वतो के सिलसिले; तुम भी कुछ ले-दे कर, मुझसे मोहब्बत कर लो….
जिन्दगी को इतनी
जिन्दगी को इतनी सीरियस लेने की जरुरत नहीं यारो यहाँ से कोई जिन्दा बचकर नहीं जायेगा
मैंने ख़ामोशी को लफ्ज़ दिए
मैंने ख़ामोशी को लफ्ज़ दिए तुमने लफ़्ज़ों को भी खामोश कर दिया
जुदाई हो अगर
जुदाई हो अगर लम्बी तो अपने रूठ जाते हैं…. बहुत ज्यादा परखने से भी रिश्ते टूट जाते हैं…
Log Ishq Me
Log Ishq Me Kaise Lab Se Lab Mila Lete He …. . . . Hamaari To Un Se Nazre ? Bhi Mil Jaye To Hosh Nahi Rehta .
नींद भी नीलाम हो
नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार -ए- इश्क में, किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता !
जाने क्यों गुरुर है
जाने क्यों गुरुर है उसे हुस्न पर अपने..!! लगता है उसका… आधार कार्ड अभी बना नही