बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी, उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है।
Category: लव शायरी
हर बार बोला
हर बार बोला जाये ये जरूरी तो नहीं हर राज़ खोला जाये ये जरूरी तो नहीं हरेक ख़ामोशी भी बयां करती है दर्पण हर लफ्ज़ तोला जाये ये जरूरी तो नहीं।
आशियाने बनाए भी
आशियाने बनाए भी तो कहाँ बनाए जनाब…. ज़मीने महँगी होती जा रही है और दिल में जगह लोग देते नहीं है|
काश दर्द के भी पैर होते
काश दर्द के भी पैर होते, थक कर रुक तो जाते कहीं
टूटता है तो टूट जाने दो
टूटता है तो टूट जाने दो, आइने से निकल रहा हूँ मैं…
थकता जा रहा हूँ
रोज़ रोज़ थकता जा रहा हूँ तेरा इंतज़ार करते करते, रोज़ थोड़ा थोड़ा टूटता जा रहा हूँ तुजसे एक तरफ़ा प्यार करते करते|
कभी तो खर्च कर
कभी तो खर्च कर दिया करो.. खुद को मुझ पर… तसल्ली रहें..मामूली नही है हम|
शमा बे दाग है
शमा बे दाग है जब तक उजाला न हुआ हुस्न पे दाग है गर चाहने वाला न हुआ|
गले मिलने को
गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं, अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं…
हज़ार दुख मुझे देना
हज़ार दुख मुझे देना, मगर ख़्याल रहे मेरे ख़ुदा ! मेरा हौंसला बहाल रहे ..।