मुहब्बत मे वह पल

मुहब्बत मे वह पल बहुत खूबसूरत होता है… जब देखना इबादत और छूना गुनाह लगता है…!!!

लबों से गुफ्तगू

लबों से गुफ्तगू नहीं…आँखों का कलाम अच्छा है…. इन हुस्न वालों से बस…दूर का सलाम अच्छा है..

हिसाब करते भी

हिसाब करते भी किसी बात कैसे उनसे, वो मुस्कुरा देते है, होश जाने कहा जाता है?

मुझ पे हंसने की

मुझ पे हंसने की, ज़माने को सजा दी जाये; मैं बहुत खुश हूँ, ये अफवाह उड़ा दी जाये!

सिर्फ मोहब्बत ही

सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है.. जो सिख जाता है वही हार जाता है..

हम वही हैं

हम वही हैं,बस ज़रा ठिकाना बदल लिया है तेरे दिल से निकलकर अब ख़ुद में रहते हैं |

किस किस तरह से

किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं, मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगे हो तुम..

अब हर कोई हमें

अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए ।

गले ना सही

गले ना सही ना मिलिए, अदब की बात है,आदाब तो बनता है…

नज़र झुकायी तो

नज़र झुकायी तो पूछूँगा इश्क़ का अन्जाम, नज़र मिलायी तो खाली सलाम कर लूंगा…

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