मतलब था ना वास्ता

मेरी जिन्दगी में झाँक कर तुम यूँ चले गये ना मतलब था ना वास्ता,कोई बात बर न थी….

मत सोच इतना

मत सोच इतना जिन्दगी के बारे में , जिसने जिन्दगी दी है उसने भी तो कुछ सोचा होगा…!!

हुनर सीख लो

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,.. … सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं.

जो फरेबी हैं

सियासत हो या मोहब्बत…”यारो…!”.. जीतता वही हे जो फरेबी हैं….!

प्यास तो मर कर भी

प्यास तो मर कर भी नहीं बुझती ज़माने की, मुर्दे भी जाते जाते गंगाजल का घूँट मांगते है”..

इतना आसान नहीं

रात भर गहरी नींद आना इतना आसान नहीं… उसके लिए दिन भर “ईमानदारी” से जीना पड़ता हैं….!!

वो खुदा से

वो खुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा..! जिसे नफरत है उसके बनाये बन्दों से..!

अपनी यादों को ज़रा

समझा दो तुम, अपनी यादों को ज़रा… … वक़्त बे-वक़्त तंग करती हैं मुझे, कर्जदारों की तरह ।

रात हुई और सो गए

वो बचपने की नींद तो अब ख़्वाब हो गई क्या उम्र थी कि रात हुई और सो गए ।

इंतजार की घड़ियाँ

इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म कर ऐ खुदा, जिसके लिये बनाया है उससे मिलवा भी दे अब ज़रा..!

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