एक पागल थी जो मेरी उदासी की भी वजह पूछा करती थी, पर ना जाने क्यूँ उसे अब मेरे रोने से भी फर्क नहीं पड़ता !!
Category: मौसम शायरी
इकतरफ़ा इस्क का
इकतरफ़ा इस्क का अपना ही मज़ा हे अपना हीजुर्म हे और अपनी हीसज़ा हे..!!
मयख़ाने की इज्जत
मयख़ाने की इज्जत का सवाल था हुज़ूर रात कल सामने से गुज़रे,तो हम भी थोड़ा लड़खड़ा के चल दिए..
दो ही गवाह थे
दो ही गवाह थे मेरी मोहब्बत के एक था वक्त ओर दुसरा सनम एक गुजर गया और दुसरा मुकर गया|
मुझसे हर शख्स
मुझसे हर शख्स खुश रहेगा, आज ये भरम टूटा है..ना जाने क्यूँ आज-कल मुझसे, मेरा सनम रूठा है….
नज़रिया बदल के
नज़रिया बदल के देख हर तरफ नज़राने मिलेंगे। ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे…
मेरे हाथ महकते रहे
मेरे हाथ महकते रहे तमाम दिन…। जब ख्वाब में तेरे बाल संवारे मैंने
छोड़ आया हूँ
छोड़ आया हूँ गर्म चाय मेज़ पर। यह इशारा है तुमसे जुदाई का।
वक्त के मरहम से
वक्त के मरहम से अभी दिल के जख्म भरे ही नहीं थे, न जाने आज वो फिर क्यों याद आ गए…………….!!
आँधियाँ हसरत से
आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रह गईं, बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर झुकने का था…