दिल किसी से तब ही लगाना जब दिलों को पढ़ना सीख लो, हर एक चेहरे की फितरत मैं वफादारी नहीं होती.
Category: प्यार शायरी
कैसा है ये इश्क
कैसा है ये इश्क और कैसा हैं ये प्यार ,जीते-जी जो मुझ से , तुम दूर जा रहे हो..
डिब्बे में छुपाए थे
माँ ने कुछ पैसे, आटे के डिब्बे में छुपाए थे….. ख्वाब कुछ मेरे ,ऐसे पकाए थे.
बेटा मज़े में है
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है
नजर अंदाज क्यू
प्यार है तो नजरअंदाज क्यू करते हो… नहीं है तो हम पर नजरें क्यू रखते हो..
ना मोहब्बतें संभाली
ना मोहब्बतें संभाली गई ना ही नफरतें पाली गई है बड़ा अफ़सोस उस जिंदगी का जो तेरे पीछे खाली गई…!!
लिपट जाता हूँ माँ
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है उछलते खेलते बचपन में बेटा ढूँढती होगी तभी तो देख कर पोते को दादी मुस्कुराती है तभी जा कर कहीं माँ-बाप को कुछ चैन पड़ता है कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है चमन… Continue reading लिपट जाता हूँ माँ
तेरा दिलकश अंदाज़
बड़ा है लाजवाब, तेरा दिलकश अंदाज़, और मुझको कर दे बर्बाद. वाह क्या बात है!
प्यार करना हे
प्यार करना हे काफी नहीं होता अपने प्यार को हासिल करने की हिम्मत भी होनी चाइय
इश्क़ तो बस
इश्क़ तो बस नाम दिया है दुनिया ने, एहसास बयां कोई कर पाये तो बात हो