तुम्हारे होते हुए भी हम तनहा है, इससे बढ़कर क्या सबूत होगा तुम्हारी बेरुखी का !!
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हम दिन और रात जैसे है
उसने कहा हम दिन और रात जैसे है, कभी एक नही हो सकते..!! मैंने कहा आओ शाम को मिलते है….!
लफ़्ज़ों से ग़लतफ़हमियाँ
लफ़्ज़ों से ग़लतफ़हमियाँ बढ़ रहीं है चलो ख़ामोशियों में बात करते हैं.
शाम ढलते ही
शाम ढलते ही दरीचे में मेरा चाँद आकर। मेरे कमरे में अँधेरा नहीं होने देता।।
कोई जग रहा यहाँ
कोई जग रहा यहाँ कोई सो रहा वहाँ , इस मोहब्बत में ये कैसा उठ रहा धुवाँ !
समंदर बेबसी अपनी
समंदर बेबसी अपनी, किसी से ‘कह’ नही सकता. ‘हज़ारों’ मील तक ‘फैला’ है, फिर भी ‘बह’ नही सकता..
मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ
मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ , हासिल कहाँ नसीब से होती हैं ! मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं , जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !
ये सफ़र से..
ये सफ़र से.. ख़ुद से ख़ुद में था लोग समझे शहर से शहर बदला !!
खुशियों का रंग
खुशियों का रंग दर्द की तस्वीर बदल दे अब तो हमारे पाँव की ज़ंज़ीर बदल दे… लिक्खा नही नसीब में तूने वो एक शख्स मौला तू मेरे हाथ की तकदीर बदल दे
रोयेगा वही जिसने
रोयेगा वही जिसने महसुस किया है सच्चे प्यार को, मतलब की चाहत रखने वालो को कोई फर्क नहीं पड़ता |