क्या खुब जवाब था एक बेटि का जब उससे पुछा गया की तेरी दुनिया कहा से शुरू होती है कहा पर खत्म.. बेटि का जवाब था.. मा की कोख से शुरू होकर, पिता के चरणो से गुजर कर, पती की खुशी के गलियो से होकर, बच्चो के सपनो को पुरा करने तक खत्म..
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न “माँग” कुछ
न “माँग” कुछ “जमाने” से ” ये” देकर “फिर” “सुनाते” हैं “किया” “एहसान” “जो” एक “बार” वो “लाख” बार “जताते” “हैं” “है” “जिनके” पास “कुछ” “दौलत” ” समझते” हैं “खुदा” हैं “हम” “ऐ” “बन्दे” तू “माँग” “अपने””अल्लाह” से “जहाँ” माँगने “वो” भी “जाते” है..
सीधा सा परिचय है
मेरे जीवन का बहुत सीधा सा परिचय है आँसू वास्तविक और मुस्कान काल्पनिक है….
जो लोग दूसरों की
जो लोग दूसरों की आँखों में आंसू भरते हैं वो क्यों भूल जाते है कि उनके पास भी दो आँखें है
गीत संगीत बगैर
सुना है, गीत संगीत बगैर सीखे नही आते..! न जाने माँ फिर भी लोरी इतने सुर मे कैसे गाती है….
मैं वो दरिया हूं
मैं वो दरिया हूं जिसकी हर बूंद भंवर है तुमने अच्छा ही किया किनारा करके
मुझे ही नहीं
मुझे ही नहीं रहा शौक़ -ए मोहब्बत वरना, तेरे शहर की खिड़कियाँ इशारे अब भी करती हैं…
में तो उसको देखकर
में तो उसको देखकर एक नज़र में ही फ़ना हो गया, न जाने रोज उसके आयने का क्या हाल होता होगा।।
लोग ही बिछड़ गए
“क्या लिखूँ , अपनी जिंदगी के बारे में. दोस्तों. वो लोग ही बिछड़ गए. ‘जो जिंदगी हुआ करते थे !!
Ab tum mujhe
Ab tum mujhe yaad nahi aty.. Ab tum mje yaad ho gaye ho..