हम ख़ुशबू जैसे लोग है, बस बिखरे-बिखरे रहते हैं.
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एक मशवरा है
बिछड़ने वाले, तेरे लिए एक मशवरा है कभी हमारा ख्याल आए तो अपना ख्याल रखना।
वो जा रहे थे
वो जा रहे थे और मैं खामोश खड़ा देखता रहा, बुज़ुर्गों से सुना था कि पीछे से आवाज़ नही देते……
अब सज़ा दे
अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना, गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा…
हल्ला मचाते है
तुझे याद करता हूँ तो हर दर्द से निजात मिलती है…!! लोग यू ही हल्ला मचाते है की दवाईयाँ महँगी हो गयी है…
किसी का गम !
हमको ख़ुशी मिल भी गई तो कहा रखेगे हम ! आँखों में हसरतें है तो दिल में किसी का गम !
सुधर पाये हम
हुऐ बदनाम, मगर फिर भी ना… सुधर पाये हम, फिर वही शायरी…फिर वही इश्क…और फिर वही तुम…..!!
रात को अक्सर
रात को अक्सर ठीक से नींद नहीं आती ….. घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ..
क्यूँ जहर देँ
मार देँ एक दफ़ा ही, नशीला सा कुछ खिला के… क्यूँ जहर देँ रहे हो, मोहब्बत मिला मिला के…
तन्हाई का आलम
कभी आंसू, कभी यादें, कभी तन्हाई का आलम, हुनर है इश्क का कि दिखाए क्या-क्या।