हम जिन पर आँखे बन्द करके भरोसा करते है, अक्सर वही लोग हमारी आँखे खोल जाते है
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अब कैसे हिसाब हो
उसकी मौहब्बत के कर्ज का, अब कैसे हिसाब हो…. वो गले लगाकर कहती है, आप बड़े खराब हो….
कोई शिकायत नहीं
हमें उनसे कोई शिकायत नहीं; शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं! मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया; पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!
इतना तो किसी ने
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा, जितना मैने सिर्फ सोचा है……
इतना तो किसी
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा, जितना मैने सिर्फ सोचा है……
पूरी दुनिया नफ़रतों
पूरी दुनिया नफ़रतों में जल रही है.. इसीलिए इस बार ठण्ड कम लग रही है।
Koi muskurakar rakh
Koi muskurakar rakh gaya meri kabr’a par mohabbat ka phool; aaj ishq ki aankhon mein khumaar utar aaya hai
ए ज़िन्दगी तेरे
ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम, पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
जंजीर से डर लगता
उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं, कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं, जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से, हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..
मासूमियत को मार ङाला
मेरी समझदारियोँ ने मेरी मासूमियत को मार ङाला… – तुझे अब भी शिकायत है कि मैँ तुझे समझता नहीँ…!!!