लो अपना बना कर..

सुनो… तुम ही रख लो अपना बना कर.. औरों ने तो छोड़ दिया तुम्हारा समझकर..!!

हमसे इश्क़ करके

परेशां है वो हमसे इश्क़ करके वफादारी की नौबत आ गई है….

अपने बेजान चेहरे

न दिल न ज़ज्बे न जोशे उल्फत, तकल्लुफन मुस्करा रहा है. वो अपने बेजान चेहरे पे, जानदार चेहरे सजा रहा है.

अपनी यादों को ज़रा

समझा दो तुम, अपनी यादों को ज़रा… … वक़्त बे-वक़्त तंग करती हैं मुझे, कर्जदारों की तरह ।

परेशान हुआ है

मुद्दतों बाद आज फिर परेशान हुआ है ये दिल ….,,, ना जाने किस हाल मै होगा मुझसे रूठने वाला !!

बुझने लगी हो

बुझने लगी हो आंखे तेरी, चाहे थमती हो रफ्तार उखड़ रही हो सांसे तेरी, दिल करता हो चित्कार दोष विधाता को ना देना, मन मे रखना तू ये आस “रण विजयी” बनता वही, जिसके पास हो “आत्मविश्वास”

तेरी दी हुई तन्हाई

बह चुभती है मेरी आंखों में अँधेरा हमसफ़र लगता है तेरी दी हुई तन्हाई का असर ये है अपने आप से डर लगता है

हां और ना

हां और ना दोनों एक ही शब्द है, जिन्हें जवाब मिला वो बर्बाद ही हुआ है..

इंतजार की घड़ियाँ

इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म कर ऐ खुदा, जिसके लिये बनाया है उससे मिलवा भी दे अब ज़रा..!

ज़हर पिला दो

आज इतना ज़हर पिला दो की मेरी साँस ही रुक जाये, सुना है साँस रुकने पर बेवफा भी देखने आती है ।

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