रात भर फोन

रात भर फोन की डिस्प्ले पे चलाई उँगली उनके रुख़सार से जुल्फ़ों को हटाने के लिए

अमन की आस लिए

अमन की आस लिए कुछ फनकार उसपार से इसपार आना चाहते थे पर कुछ जालिम हे जो अमन को आतंक समज ते थे

कभी बेवजह भी

कभी बेवजह भी कुछ ना कुछ खरीद लिया करो दोस्तों.. ये वो खुद्दार लोग है जो भिख नही मांगते

हम इश्क के

हम इश्क के मारो का इतना सा फसाना है संग रोने को कोई नही हमपे हसने को जमाना है

जो मांगू वो दे दिया

जो मांगू वो दे दिया कर…ऐ ज़िन्दग़ी …!! तू बस…मेरी माँ की तरह बन जा…

जख्मों को अपने

जख्मों को अपने अब ढक कर चलता हूँ… आजकल लोगों के लहजों में ही नमक झलकता है…!!

मिट जाते है वो

मिट जाते है वो औरों को मिटाने वाले . लाश कहा रोती है? रोते हैं जलाने वाले

हसरतें मचल गयी

हसरतें मचल गयी जब तुमको सोचा एक पल के लिए; सोचो दीवानगी तब क्या होगी,जब तुम मिलोगे मुझे उम्र भर के लिए…..

कुछ पाने की

कुछ पाने की बेचैनियाँ भी होनी चाहियें दिल में वरना जीने का क्या फायदा…

क्यो नही मिलता

क्यो नही मिलता कोई शक्स अपने जैसा यूँ तो इस दुनिया में क़िरदार बहुत है…

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