एहसास जब जुड़ते है तब भी महसूस होते है एहसास जब टूटते है तब रूह को चीर देते है”
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जब से खुद से
जब से खुद से समझोता किया है मानों हर पल टूट रहा हूँ मैं..
कोई तो पैमाना
काश कोई तो पैमाना होता मोहब्बत नापने का तो शान से तेरे सामने आते सबुत के साथ
दाव पेंच मालूम है
सब दाव पेंच मालूम है उसको वो बाजी जीत लेता है मेरे चालाक होने तक
तुमको ना रोकेंगे
मेरी बेचैन उमंगो को बहलाकर चले जाना, हम तुमको ना रोकेंगे बस आकर चले जाना…
धागे की तरह
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते.., या तो लोहे की तरह जोड़ दे,या फिर धागे की तरह तोड़ दे..!!
मस्जिद के सामने
हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा, पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया…!
बिगङी तकदीरें..
तमाम ठोकरें खाने के बाद, ये अहसास हुआ मुझे.. कुछ नहीं कहती हाथों की लकीरें,खुद बनानी पङती हैं बिगङी तकदीरें..
ज़िंदगी में शामिल हो
सुनो तुम मेरी ज़िंदगी में शामिल हो ऐसे, – – मंदिर के दरवाज़े पर मन्नत के धागे हों जैसे..!!
झूठ बोलते हो
जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने गोली खायी थी क्यों झूठ बोलते हो साहब , की चरखे से आजादी आई थी