ज़िंदगी मेरे लिए

क्यों कोई मेरा इंतज़ार करेगा, अपनी ज़िंदगी मेरे लिए बेकार करेगा, हम कौन सा किसी के लिए ख़ास है, क्या सोच कर कोई हमें याद करेगा !!

दिल में जगह

मौत का आलम देख कर तो ज़मीन भी दो गज़ जगह दे देती है… फिर यह इंसान क्या चीज़ है जो ज़िन्दा रहने पर भी दिल में जगह नहीं देता…

कोई याद बन गया

दूरियां भी क्या क्या करा देती हैं…. कोई याद बन गया…. कोई ख्वाब…

रात को सोते हुए

रात को सोते हुए एक बेवज़ह सा ख़याल आया…. सुबह न जाग पाऊँ तो क्या उसे ख़बर मिलेगी कभी…..!

सौ गुना बेहतर है

तन्हाई’ सौ गुना बेहतर है, झुठे “वादों” से…! झुठे “लोगों” से…!!

जो नही है

जो नही है हमारे पास वो ” ख्वाब ” हैं, पर जो है हमारे पास वो ” लाजवाब ” हैं…

मेरे वजूद पे

मेरे वजूद पे उतरी हैं लफ़्ज़ की सूरत,, भटक रही थीं ख़लाओं में ये सदाएँ कहीं।।

अधूरी हसरतों का

अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर…!! अगर तुम चाहती तो….. ये मोहब्बत ख़त्म ना होती….!!

रज़ामन्दी से हुआ

इश्क़ ” का बँटवारा , रज़ामन्दी से हुआ … चमक उन्होंने बँटोरी , तड़प हम ले आये !

तगाफुल का हम गिला

करने गये थे उनसे तगाफुल का हम गिला.. की एक ही निगाह कि हम खाक हो गये..!

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