एक हँसती हुई

एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है।

शब्द तो शोर है

शब्द तो शोर है तमाशा है भाव के बिंदु का बिपाशा है मरहम की बात होठो से ना करो मोन ही तो प्रेम की परिभाषा |

तुझ पे उठ्ठी हैं

तुझ पे उठ्ठी हैं वो खोई हुयी साहिर आँखें.. तुझ को मालूम है क्यों उम्र गवाँ दी हमने…

न चमन है

न चमन है , न गुल है ,न मौसम-ए-बहार है मेरी भी जिंदगी क्या खूब है – सिर्फ इन्तजार है।

है कोई रंग जो हो

है कोई रंग जो हो इश्क़े-ख़ुदा से बेहतर अपने आपे में चढ़ा लो उसी इक ज़ात का रंग |

वक़्त का जहाज़

वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया

एक एक पन्ना हर कोई

एक एक पन्ना हर कोई बांट लेते है मतलब की… सुबह-सुबह मां घर में अखबार जैसे हो जाती है…

किसी के नहीं होते

आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते, जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!! ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों… की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….

अंजामे वफ़ा ये है

अंजामे वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की, मरने की दुआ मांगी, जीने की सज़ा पाई..

घर के चूल्हे को

घर के चूल्हे को भरम है कि वो पालता है हमे…!! प्यार तो माँ की हथेली से चुराती है रोटियाँ…….!

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