ए दुश्मनो उठाओ हाथ

ना तबीबों की तलब है न दुआ मांगी है नी मैं जां हु बस तेरे दामन की हवा मांगी है ए दुश्मनो उठाओ हाथ मांगो जिन्दगी मेरी। क्यों की दोस्तों ने मेरे मरने की दुआ मांगी है

जरूरी नहीं

आज का ज्ञान अगर कोई दस बजे उठे… तो जरूरी नहीं कि वो… ‘आलसी’ हो………. हो सकता है उसके ‘सपने’ बड़े हों…!!

क्यों भरोसा करते हो

क्यों भरोसा करते हो गैरों पर… जब तुम्हें चलना है खुद के पैरों पर…

हथियार तो सिर्फ

हथियार तो सिर्फ शोक के लिए रखा करते हैं , खौफ के लिए तो बस हमारा नाम ही काफी है..

दहशत हमेशा शेरो की

ख़ौफ़ तो कुत्ते भी फैला सकते है……….. पर दहशत हमेशा शेरो की रहती है ……..

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम…… , , मुर्दा-दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं…. ………….

अगर तुम्हें खुशियाँ

अगर तुम्हें खुशियाँ मिलने लगें तो, तीन चीज़ मत भूलना..,..”अल्लाह को”, उसकी “मखलूक को”, और “अपनी औकात” को..!!

हर इसांन की

हर इसांन की ख्वाहिश होती है कि सब उसे पहचाने , पर , ये भी चिंता सताती है, कि कोई सही में पहचान न ले…

मेरी गलतियां मुझसे

मेरी गलतियां मुझसे कहो दूसरो से नहीं, कियोंकि सुधार ना मुझे है उनको नही….. …………

अधूरे हो जाते हैं

मुक़म्मल होने की ख़्वाहिश में हम…!… और भी ज़्यादा अधूरे हो जाते हैं…!!

Exit mobile version