किस से पूछूँगा खबर तेरी… कौन बतलायेगा निशान तेरा…
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जाने किन वादियो में
जाने किन वादियो में ठहरा है…गिरत-ऐ-हुस्न कारवाँ तेरा…
ये भी मुझे
ये भी मुझे नही मालूम… किस मोहल्ले में है मकान तेरा..
रहे दो दो फ़रिश्ते
रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा किसी ने कुछ लिखा होगा किसी ने कुछ लिखा होगा
आज इतना महसूस किया
आज इतना महसूस किया खुद को जैसे लोग दफन कर के चले गए हो मुझे|
बेअसर कहाँ होती है
बेअसर कहाँ होती है दुआ कोई भी… या उसकी कुबूल होती है या मेरी कुबूल होती है!!
कभी किसी से
कभी किसी से प्यार मत करना! हो जाये तो इंकार मत करना! चल सको तो चलना उस राह पर! वरना किसी की ज़िन्दगी ख़राब मत करना!
शिकायतो की पाई पाई
शिकायतो की पाई पाई जोड़ कर रखी थी मैंने !उसने गले लगा कर.. सारा हिसाब बिगाड़ दिया ||
अपनी तकदीर में
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया; तो किसी ने अपना बनाकर ‘वक़्त’ गुजार लिया!
सब कहते हैं
सब कहते हैं ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार प्यार करना चाहिए, लेकिन तुमसे तो मुझे बार बार प्यार करने को दिल चाहता है।