तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए..

तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए…पहाड़ क्यों न हुए ? तुम मेरे लिए पहाड़ क्यों हुए…रेत क्यों न हुए ? रेत…पहाड़…मैं…सब वही सिर्फ… “तुम” बदल गए पहली बार भी और फिर…आखिरी बार भी…

जिस से मोहब्बत की

जिस से मोहब्बत की जाए उस से मुक़ाबला नही किया जाता….

तेरे दिल में आता क्या है ..

मैं तेरी कोई नहीं मगर इतना तो बता , ज़िक्र से मेरे, तेरे दिल में आता क्या है ..!!

सच्चा प्यार सिर्फ

सच्चा प्यार सिर्फ वो लोग कर सकते है, जो किसीका प्यार पाने के लिए तरस चुके हो !!

तुम न जाने

तुम न जाने किस किस को अच्छे लगते हो, मेरे लिए तो तुम बस मुझे अपने लगते हो !!

जब भी हक़ जता कर

जब भी हक़ जता कर देखा, मुझे हदें बता दीं गईं मेरी !!!

अगर दिल टूटे तो

अगर दिल टूटे तो मेरे पास चले आना ! मुझे बिखरे हुये लोगो से मोहब्बत बहुत है ….

कैसी लगती हूँ मैं

उसने पुछा कैसी लगती हूँ मैं . .मैने कहा तुम ना सीधे दिल पर लगते हो..

लगाकर आग दिल में

लगाकर आग दिल में अब तुम चले हो कहाँ…. अभी तो राख उड़ने दो तमाशा और भी होगा |

अब हर कोई हमें

अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए ।

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