वक्त इंसान पे ऐसा भी कभी आता है राह में छोड़ के साया भी चला जाता है|
Tag: व्यंग्य
खेत सूखे सूखे से थे
जिसके खेत सूखे सूखे से थे.. पानी,उसी की आँखों में नजर आया….!!!
लिहाफ़ ओढ़ के
चलो यादों का लिहाफ़ ओढ़ के सो जाए … शायद कोई खूबसूरत ख्वाब अब भी जिंदा हो …
अगर कुसूर न करता
यह तो नहीं कहता कि इन्साफ ही करो.. झूठी भी तसल्ली हो तो जीता ही रहूँगा..!
जो देखने में
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता था उसी के बारे में सोचा तो फासला बहुत निकला|
कुछ इस तरह
कुछ इस तरह उस फकीर ने जिन्दगी की मिसाल दी ” मुठ्ठी में धूल ली और हवा में उछाल दी…!!
बेपर्दगी का आलम
बेपर्दगी का आलम क्या बताऊँ तुझको….. ऐ दोस्त !!! कीमती चादरें मजारों पर और “इज्ज़तें” बेलिबास फिरती हैं
छोटी सी जिंदगी है
छोटी सी जिंदगी है , हर बात में खुश रहो। जो पास में ना हो , उनकी आवाज़ में खुश रहो। कोई रूठा हो तुमसे , उसके इस अंदाज़ में खुश रहो। जो लौट के नही आने वाले है, उन लम्हो कि याद में खुश रहो। कल किसने देखा है , अपने आज में खुश… Continue reading छोटी सी जिंदगी है
दास्ताँ सुना कर
अब बस भी कर अये बादल..!!! गलती की मैंने … तुझे अपनी दास्ताँ सुना कर
ऐसा तराशा है
तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको… हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..