अजीब खेल है

अख़बार का भी अजीब खेल है सुबह अमीर की चाय का मजा बढाता है और रात में गरीब के खाने की थाली बन जाता है…!

वो लमहा भी

जरूरी नही की हर समय लबो पर खुदा का नाम आये ।। वो लमहा भी इबादत का होता है… जब इनसान किसी के काम आये…

हाथ की लकीरें

हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो…. मेरे होश ही उड़ा दिये..! मेरा हाथ देख कर बोला… “तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी…

जन्नत नसीब नहीं हो

ऐ इश्क __!!! जन्नत नसीब नहीं हो सकती तुझे कभी…. बड़े मासूम लोगों को बर्बाद किया है तूने|

जाग रहे हॊ

जाग रहे हॊ न अब तक, मैनें कहा था न ईश्क मत करना…!

जलने वालों की दुआ

जलने वालों की दुआ से ही सारी बरकत है..!! वरना… अपना कहने वाले लोग तो याद भी नही करते….!

आ के अब

आ के अब यूँ सहा नहीं जाता दूर तुझ से रहा नहीं जाता दरगुज़र िकतना भी करलूँ मुझसे अब चुप रहा नहीं जाता नेक बख़ती की बात सुनता हूँ तो भी अच्छा हुआ नहीं जाता दिल में ऐसी उमंग उठती है चाहूँ भी बारहा, नहीं जाता क्यों पसो पेश में पड़ा है तू यार सोचा… Continue reading आ के अब

Yeh Bhhegi Palkein

Woh Baad Muddat Ke Jab Mila To Uss Ne Poocha .. Yeh Khushk Zulfein .. Yeh Bhhegi Palkein .. Yeh Dasht Aankhein .. Yeh Kaasni Lab .. Kidhar Ganwa Diye ..? Woh Shokh Aankhein .. Woh Narm Baatein .. Woh Surkh Aariz.. Woh Garm Saansein .. Woh Khil Ke Hansna .. Woh Chahchahana .. Kya… Continue reading Yeh Bhhegi Palkein

छेड़ने लगीं सहेलियां

छेड़ने लगीं सहेलियां उसकी उसको..मुजसे मिलने के बाद .. कि रंग क्यों बदला है तेरे होठों का उसको मिलने के बाद ..

लेकर आना उसे

लेकर आना उसे मेरे जनाजे में, एक आखरी हसीन मुलाकात होगी..! मेरे जिस्म में जान न हो मगर, मेरी जान तो मेरे जिस्म के पास होगी..!!

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