समझ में नहीं आता वफा करें तो किससे करें …! मिट्टी से बने लोग काग़ज़ के टुकडों पे बिक जाते हैं …!!
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गाल पर ढलके हुए
गाल पर ढलके हुए आँसू की राह थाम कर। उसका काज़ल सब कहानियाँ बता निकला।
इलाही क्या इलाक़ा है
इलाही क्या इलाक़ा है वो जब लेते हैं अंगड़ाई मिरे ज़ख़्मों के सब टाँके अचानक टूट जाते हैं”..!!
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ, मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..
यूँ तो गलत नही होते
यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के, लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है।
डर हमेशा बना रहे
विश्वास कीसी पे इतना करो वो तुम्हें फंसाते समय खुद को दोषी समजे प्यार किसीसे इतना करो की उसके मन तुम्हें खोने का डर हमेशा बना रहे….
ऐसी शायरी लिखूँ
काश! मैं ऐसी शायरी लिखूँ तेरी याद में, तेरी शक्ल दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में.!
उसे मुफ्त ही दे दें
सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें , इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।
बच्चों की हथेली
बस्ता बचपन और कागज़ छीन कर तुमने बच्चों की हथेली बेच दी गाँव में दिखने लगा बाज़ारपन प्यार सी वो गुड़ की भेली बेच दी
तोहफा लाने निकला था
आज तोहफा लाने निकला था शहर में तेरे लिए, कम्बखत खुद से सस्ता कुछ ना मिला।।